ये बसंत की नीली बूंदे ,
वसुधा के दामन को चूमे ,
सौंधी खुशबू उठे धरा से ,
बागों में भवरे अब घूमे ,
जीवन में भर उठे रंग सब ,
लोग मनाएंगे होली अब,
काले, नीले लाल पीले ,
पानी में होकर के गीले ,,
आओ हम सब नाचे गायें ,
झूमें, घूमें मौज मनाए ,
ये बसंत ऋतुराज, कहाता ,
जीवन में उमंग ले आता ,
आमों पे कोयल है कूके ,
पंख उठा के मोर है झूमें ,
नवल सृजन अब हुआ पात का ,
हरा रंग सब और धरा का ,
त्योहारों का आया मौसम,
सब दिलों में उमड़े है उमंग,
सब खुशियां लाया है बसंत,
लो फिर से आया है बसंत !!!
*वसुधा – Earth
*बसंत – Spring
*नवल – New
*सृजन – Creation
*धरा – Earth
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